Monday, July 28, 2008
"खत"
"खत"
आज लहू का कतरा कतरा स्याई बना है,
और ये जख्मी दिल ही खत की लिखाई बना है.
दर्द बडा बेदर्द है, वो ही गवाही बना है,
तार- तार हर दिल कौना तबाही बना है.
देख मेरे चाहत का किस्सा जग हंसाई बना है,
मेरे बर्बादी का सारा ही जहाँ तमाशाई बना है.
नाम वफा था जिसका वो ही बेवफाई बना है,
जख्मों से रिसता लहू मेरी सच्चाई बना है.
कोई साथ नही हर मंजर तन्हाई बना है ,
आंसू का हर मोती मेरा हमराही बना है.
खुने दिल से लिखा ये "खत",मेरे रुसवाई बना है,
घडी कयामत की है जिसमे जनाजा हे मेरी शहनाई बना है!
Sunday, July 27, 2008
“यादें"
“यादें"
बहुत रुला जाती हैं , दिल को जला जातीं हैं ,
नीदों मे जगा जाती हैं , कितना तड़पा जातीं हैं ,
“यादें" जब भी आती है ”
भीगे भीगे अल्फाजों को , लबों पर लाकर ,
दिल के जज्बातों को , फ़िर से दोहरा जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं ”
खाली अन्ध्यारे मन के , हर एक कोने मे ,
बीते लम्हों के टूटे मोती , बिखरा जाती हैं ,
“यादें जब भी आती है ”
हम पे जो गुजरी थी , उन सारी तकलीफों के ,
दिल मे दबे हुए , शोलों को भड़का जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं ”
कितना सता जाती हैं , दीवाना बना जाती हैं ,
हर जख्म दुखा जाती हैं , फ़िर तन्हा कर जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं ”
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