Sunday, February 3, 2008

“काश"











"काश"

हर वक्त तुम्हारे होटों पर होती ,
काश मैं वो ग़ज़ल होती ,
जिन फूलों की तुम तारीफ करते ,
काश उन फूलों का तब्बसुम होती.

जिन नज़ारों को तुम आँखों मे बसाते,
काश उन नजारों का नूर होती .
जिसे तुम हर पल पाना चाहते ,
काश मैं ही वो हुर होती .

जिससे तुम्हारे दिल की प्यास बुझती ,
काश मैं वो पैमाना होती ,
जो हर पल तुम्हारी सांसों को मेह्काती ,
काश मैं वो खुशबु होती .

जिसे गवाने का डर तुम्हे हमेशा रहता ,
काश मैं वो तुम्हारी जान होती ,
तुम्हारे सीने मे अगर कुछ धड़कता है ,
काश मैं ही वो तुम्हारा दिल होती .