" Poetry Published in one of famous urdu literary magazine "Taryaq " Dec 2013"
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दश्त-ए -दर्द के मंज़र
खुश्क हवाओं के लश्कर
ज़र्द पत्तों की आहट
रगे लहू मौसम मौसम
दिसम्बर बहता है .....
बिखरते हैं
नर्म हथेलियों पे शबनम की तरह
तुम्हारे लम्स के सराब
दहकते हैं पलाश
मेरे माज़ी में गये दिनों की तरह
दिसम्बर रहता है ...........
शाम की शफक उदासी बैचेनी
है वो कौन जो ढूँढता है मुझे
अब भी तू नहीं , तब भी तू नहीं
दिसम्बर कहता है ..........
बहती नदिया के उस पार
खुश्क पत्ते , सराबोर रूहें
इश्क की मुन्तजिर आँखों में
अश्कों की तरह धीरे धीरे
दिसम्बर बहता है ...........
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