Thursday, February 7, 2013

Poetry published in "KHABARYAR hindi newspaper" 29th Jan 2013 Bhopal

Poetry published in "KHABARYAR hindi newspaper" 29th Jan 2013 Bhopal


"नसीब"

कुछ सितारे
मचल के जिस पहर
रात के हुस्न पे दस्तक दें
निगोड़ी चांदनी भी लजाकर
समुंदर की बाँहों में आ सिमटे
हवाओं की सर्द ओढ़नी
बिखरे दरख्तों के शानों पे
उस वक़्त तू चाँद बन
फलक की सीढ़ी से फिसल जाना
चुपके से मेरी हथेलियों पर
वो नसीब लिख जाना
जिसकी चाहत में मैंने
चंद साँसों का जखीरा
जिस्म के सन्नाटे में
छुपा रखा है ...
----------------------
"चांदनी पीती रही"

आँखे सुराही घूंट घूंट
चांदनी पीती रही
इश्क की बदनाम रूहें
अनकहे राज जीती रही
रात रूठी बैठी रही
नाजायज ख्वाब के पलने झुला
नींद उघडे तन लिए
पैरहन खुद ही सीती रही
हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के वर्क में
उम्र ऐसी बीती रही
आँखे सुराही घूंट घूंट

चांदनी पीती रही

No comments: