Article about Me and my Poetry published in " Inquilab urdu daily news paper" today 26 th August 2012
(http://epaper.inquilab.com/epaperhome.aspx?issue=26082012&edd=Delhi)
Courtesy : Noorain Ali Haq
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Courtesy : Noorain Ali Haq
वही फुरक़त के अँधेरे वही अंगनाई हो
तेरी यादों का हों मेला ,शब् -ए -तन्हाई हो
मैं उसे जानती हूँ सिर्फउसे जानती हूँ
क्या ज़ुरूरी है ज़माने से शनासाई हो
इतनी शिद्दत से कोई याद भी आया ना करे
होश में आऊं तो दुनिया ही तमाशाई हो
मेरी आँखों में कई ज़ख्म हैं महरूमी के
मेरे टूटे हुए ख़्वाबों की मसीहाई हो
तेरी यादों का हों मेला ,शब् -ए -तन्हाई हो
मैं उसे जानती हूँ सिर्फ
क्या ज़ुरूरी है ज़माने से शनासाई हो
इतनी शिद्दत से कोई याद भी आया ना करे
होश में आऊं तो दुनिया ही तमाशाई हो
मेरी आँखों में कई ज़ख्म है
मेरे टूटे हुए ख़्वाबों की मसीहाई हो
वो किसी और का है मुझ से बिछड कर सीमा
कोई ऐसा भी ज़माने में न हरजाई हो
कोई ऐसा भी ज़माने में न हरजाई हो
2 comments:
bahut hi sunder man mohak , badhiyan
congrets seema ji
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