

"साथ"
बस एक तेरे "साथ" की प्यासी मेरे तन्हाई है,
मेरे इन निगाहों मे सिर्फ़ तेरे इंतजार की परछाई है.
चांदनी कहाँ मिलती है, वो भी अंधेरों मे समाई है,
रोशनी के लिए हमने ख़ुद अपनी ही ऑंखें जलाई हैं.
करवट- करवट रात ने हर तरफ उदासी फेलाई है,
ऐसे मे ना जिन्दगी करीब है, ना हमें मौत ही आयी है.
तेरे प्यार की तलब ही इस दिल के गहराई है,ह
मने आंसुओं के सैलाब मे अपनी हर आस बहाई है.
हवा की सरसराहट से भी लगे तेरी ही आहट आयी है,
इस एक उम्मीद मे हमने जाने कितनी सदीयाँ बीताई हैं.
http://www.parikalpnaa.com/2009/01/2008-5.html
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