बधाई सीमा जी! हिन्दी के उत्थान में पत्र-पत्रिकायें, गोष्ठियाँ, सरकारी सहायता का महत्व अवश्य है लेकिन ऐसी सुविधाओं पर स्वार्थी तत्वों द्वारा कब्ज़ा कर लिये जाने का भी खतरा है। इसलिये भाषा व लेखन-प्रकाशन को अप्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम से कम ही रखनी चाहिये। लिखती रहिये, एक बार फिर शुभकामनायें!
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बधाई सीमा जी! हिन्दी के उत्थान में पत्र-पत्रिकायें, गोष्ठियाँ, सरकारी सहायता का महत्व अवश्य है लेकिन ऐसी सुविधाओं पर स्वार्थी तत्वों द्वारा कब्ज़ा कर लिये जाने का भी खतरा है। इसलिये भाषा व लेखन-प्रकाशन को अप्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम से कम ही रखनी चाहिये। लिखती रहिये, एक बार फिर शुभकामनायें!
sahi keh rahi hai aap seema ji
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