




"महफिल"
हमने तुम्हें अपनी महफिल मे बुलाया था पिलाने के लिए,
पर तुम चले आए हमे रुलाने के लिए.
हम तुम्हारे आने पर तुम्हें सजदा करते,
तुमने तो मौका ही ना दिए की हम कोई फरियाद करते.
तुम तो किसी और की महफिल से उठकर चले आए,
तुम्हें इस हाल मे देखकर आंखों मे अश्क उतर आए.
हम तो बैठे रहे तुम्हारे इन्तजार मे,
और तुम खोये रहे किसी गैर के प्यार मे.
तुमने हमारी चाहत का क्या खूब सिला दिया,
आखीर मेरी जिन्दगी से किस बात का बदला लिया.
तुमने किसी और के हाथों से जाम पिया ,
पर हमने अपने हर पैमाने पर तुम्हारा नाम लिख दिया.
अब आए हो तुम तो कुछ नही है यहाँ,
वो देखो, वो द्खो ........
मेरे दिल के पैमाने के टुकड़े पडे हैं वहाँ......
लौट जाओ उसी महफिल मे तुम्हें कसम है मेरी,
आज के बाद इस महफिल मे भटका करेगी सिर्फ़ रूह ही मेरी!!!!!!